मंगलवार, 3 जुलाई 2007

गप सं चर्चा धरि

कोनो गप चर्चा कखन बनैत अछि? ई सवाल मन में उठनाई स्वाभाविक अछि। गप दू गोटेक बीच होमय वला आपसी संवाद थिक जखन कि चर्चा सामूहिक। अस्तु, गप आ चर्चा के चर्चा एखन करबाक कारण ई जे किछु दिन पहिने हमर पिता ओ हमर बीच ई गप भेल जे मुज़फ़्फ़रपुर के एकटा अखबार में काज करल जाय। चर्चा सघन उठि गेल जे ललन जी मुज़फ़्फ़रपुर आबि रहल छथि। कानपुर में बहुत गोटे के सविस्तार कह पडल जे हं गप में 'दम' छैक। आब दम जखन कही देलियैक त सामर्थ्य देखौनाई जरूरी। हम मुज़फ़्फ़रपुर के सम्पादक सं गप केलौं। ओहो फटक नाथ गिरधारी निकललाह। छूटितहि कहलनि, जे हमरा लग एखन त नहि बाद में जगह होयत त देखब। आब हमरा लग कोनो टा चारा नहि बांचल छल जाहि सं हम अपन पिता के ई भरोस द सकै छलियैन जे हम मुजफ्फरपुर में नौकरी ठीके कर चाहैत छी। अस्तु, एहि बीच हमर कायॆक्षेत्र में सेहो एहि गपक चचॆ कम नहि हुअ लागल जे हम मुजफ्फरपुर जा रहल छी। घर में रहय वाली मोहतरमा (कनिया) सेहो एहि गप सं बांचल त छलीह नहि, तैं मुजफ्फरपुर गमना-गमन प्रकरण सं हुनक प्रभावित भेनाई लाजिमी। ओहो रहि-रहि के पूछि लैत छलीह, जे ठीके जाय छियै। आब हुनका ई के बुझा सकैत छलैनि्ह जे जहिना राजनीति सं प्रभावित होमय वला वगॆ के ई नहि बूझल रहैत छैक जे सत्ता के केंद्र में कोन-कोन खेल होइत छैक, तहिना हुनको लेल ई बुझनाई जरूरी नहि छनि जे मुजफ्फरपुर जेबै अथवा नहि तकर प्रतिफल सं हुनका मतबल राखय के चाहियैन।
मुदा गपक एहि प्रकरण सं हमर सामंजस्य अछि अथवा नहि, एकर खोज-पुछारी केनाई प्रायः ककरो समीचीन नहि बुझा पड़ैत छलैन, तैं हम लगभग बाहरे जकां छलहुं। तात्पयॆ ई जे गप भले दू गोटेक बीच के सामग्री होय, ओकर प्रसार सरिपहुं भेनाई ओहि दुहु गोटेक अधिकार नहि।