शुक्रवार, 27 जुलाई 2007

प्रोफेसर कलाम को एक पत्र


आदरणीय कलाम साहब
आप राष्ट्रपति पद से आजाद हो गए हैं। बहुत खुशी की बात है। कम से कम अब आप देश को और भी ज्यादा सुलभ हो सकेंगे। हमने भी इसलिए अभी आपको संपकॆ किया कि हमसे मुखातिब होने में राष्ट्रपति का अति व्यस्त वक्त अब आड़े नहीं आएगा। पूरे पांच साल आप मीडिया में छाए रहे और आप देश के अब तक के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपतियों में रहे। मगर राष्ट्र के प्रति और यहां की जनता के प्रति आपने दायित्व निवॆहन में दो मौकों पर कमजोरी दिखाई। पहली बार उस वक्त जब लाभ के पद को आपने स्वीक्रति दी। राष्ट्रपति की शक्तियां सीमित हैं मगर जिस तरह संविधान और कानून में मौजूद लूप-होल्स का फायदा देश को नुकसान पहुंचाने की दिशा में और अपने फायदे के लिए नेता, कानूनविग्य, अपराधी उठा लेते हैं... यह बहुत जरूरी था कि संविधान में छुपे राष्ट्रपति की शक्ति (पॉकेट-वीटो) का आप प्रयोग देश हित में करते, पूरा देश आपका क्रतग्य रहता। आपके पास तो सुप्रीम कोटॆ और तमाम संविधानविद इस मुद्दे पर सलाह देने के लिए उपलब्ध थे, आपने लिया भी होगा। परंतु निश्चित रूप से विवाद में फंसने और राष्ट्रपति के कतॆव्यों को घोर राजनीतिक-प्रक्रति (पोलिटिसाइज्ड) से बचाने को आपने इस दिशा में आधे रास्ते पर ही अपना कदम रोक लिया। आखिर में फिर आपने राजनीति करने से परहेज किया और राष्ट्रपति चुनाव से पीछे हट गए। आपके उस वक्त दिए गए बयान से साफ जाहिर हो रहा था कि राजनीति का कमॆ स्वच्छ तो नहीं ही है, आपको ये आशंका भी थी कि राजनीति में यदि आप डूबे तो आप विवादित हो जाएंगे और राजनीति करना एक गंदी नीति मानी जाएगी। विडंबना है कि देश के राष्ट्रपति का बयान यह संदेश देता प्रतीत होता है कि राजनीति साफ शब्दों में अच्छे लोगों का कमॆ नहीं, और न यह आसान है। देश की राजनैतिक व्यवस्था राजनीति से ही संचालित हो रही है। देश का वास्तविक नेता प्रधानमंत्री प्रत्यक्ष तौर पर राजनीति से ही इस पद पर पहुंचता है और देश के अंदर व पूरे अंतरराष्ट्रीय मंच पर राजनीतिक कौशल उसे दिखानी पड़ती है। देश का सांविधानिक प्रमुख राष्ट्रपति भी अप्रत्यक्ष तौर पर राजनीति से ही चुना जाता है, इस बार तो पूरे चुनाव के दौरान यह प्रत्यक्ष भी दिखा। ऐसे में जब देश को आप जैसा काबिल राष्ट्रपति नसीब हो सकता था आपने राजनीति से बचाव में ऐसा न होने देने का अपराध किया। कौटिल्य से लेकर चोम्स्की, लास्की और गांधी तक ने राजनीति से परहेज नहीं किया और परंपराओं से लेकर आज तक अपने देश या विश्व में कहीं भी शासन व्यवस्था बिना राजनीति के मुमकिन नहीं। राजनीति को गलत लोगों ने अपने फायदे के लिए इसे गंदी नीति के रूप में कुख्यात कर डाला है, पर रियाया के लिए आप जैसे प्रमुख को राजनीति तो करनी ही चाहिए।