शशि थरूर ने हम जैसे पहले कभी विमान में न चढ़े और निकट भविष्य में विमान में चढ़ने वाले लोगों को कैटल क्लास कहा. अपन जैसे वे टुच्चे टाइप के लोग, जो विदेश तो नहीं ही गए हैं, देश में भी कभी विमान यात्रा का सुख नहीं ले पाए हैं, विदेश में सालों तक रहने के बाद यहां आकर झटके से विदेश राज्य मंत्री बन जाने वाले इस शख्स के इस बयान से टनों आहत हो गए हैं। आहत होकर अपन अभी कुछ करते, इतनें में थरूर भाई साहब ने सोनिया मांजी से माफी मांग ली. ये अलग बात है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शुक्रवार की शाम से ही ये रट लगाने लगे थे कि थरूर के बयान को ज्यादा तूल दिया जा रहा है. अब भला मनमोहन जी क्यों नहीं इस मामले को तूल दिया जाना बताएंगे. वे भी तो पहली बार प्रधानमंत्री बनने के कुछ दिनों बाद इंग्लैंड जाकर बोल आए थे कि .. आप ही (अंग्रेजों ने) ने हमें सभ्यता सिखाई, अंग्रेजी सिखाया, हमने तो सीखा ही नहीं था कि सभ्य बना कैसे जाता है। आपको याद होगा हमारे माननीय प्रधानमंत्री का ये बयान, मैंने इनवरटेड कॉमा में नहीं लिखा.
तो... थरूर इसी कैटेगरी के नेता हैं, जिन्हें उस जहीन जनता को कैटल क्लास कहते देर नहीं लगी जो भारत की आम जनता में अभी भी नहीं गिनी जाती. पता नहीं भारत के गांवों में बसने वाली उस जनता को थरूर क्या कहेंगे जो हवा में उड़ते हवाई जहाज को देखकर भी सिर्फ ट्रेन में ही चढ़कर संतोष कर लेती है। लेकिन थरूर ने तो किसी घाघ राजनीतिज्ञ की तरह माफी मांग ली. सभी तरह की जनताओं से. यह जनता पर है कि वह अपने को किस श्रेणी में मानती है. वह विमान में चढ़ने वाली कैटल क्लास की है, या गांवों में रहने वाली. लेकिन थरूर को माफी मिलेगी.
शुक्रवार, 18 सितंबर 2009
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