हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार विष्णु प्रभाकर नहीं रहे. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के मीरापुर में जन्मे इस साहित्य-शिल्पी की याद इस गांव के गली-कूचों में रची-बसी है। ये अलग बात है कि प्रभाकर कब के यहां से चले गए. लेकिन अपनी माटी कब छूटी है किसी से, जो उनसे छूटती. शायद इसीलिए जब कुछ साल पूर्व बीबीसी ने उनका साक्षात्कार प्रसारित किया तो उनकी भाषा ठेठ पश्चिमी यूपी वाली थी. उन्होंने कहा भी कि 'ऐ माटी तुझे अभी कई और विष्णु को जन्म देना है...'
आज के लिए बस इतना ही...... और बस थोड़ा सा ये कि अब और कौन है प्रभाकर के जैसा... हिंदी का पुत्र..........