खुश होने के कई कारणों के पीछे, होते हैं कई अंतराल,
बीच की कुछ घटनाएं उन्हें जोड़ती हैं, एक नया अंतराल जनमाने के लिए.
कुछ ऐसा भी घटित होता है जीवन में, कल्पना जिसकी न की हो कभी
सुखद हो या दुखद, ये 'कुछ' भी दे जाता है अंतराल, एक नया अंतराल जनमाने के लिए.
आकांक्षाएं, मनोरथ, भावना, ममत्व, ऐसे शब्द जहन में उभरते हैं जब
समय उन्हें बे-अख्तियार घूरता रहता है, अपनी चुभन से दम निकालने के लिए
ताकि फिर वही अंतराल पैदा हो, एक नया अंतराल जनमाने के लिए.
फिर बांध कर आस डगर पार पहुंचने के लिए, इंसान कोशिश ही तो कर सकता है,
कहां पाट सकता है उस अंतराल को, जो जीवन में उसके दे जाता है अंतराल,
एक नया अंतराल जनमाने के लिए.
उस अंतराल के बाद दुनिया रुक तो नहीं जाती, कदम थम तो नहीं जाते इंसान के,
उस अंतराल के बाद के जीवन को जीने के लिए, लेकिन कहां भरती है वो खाली जगह
जिसे किन्हीं महत्वपूर्ण क्षणों में जीया है किसी ने, अपने भीतर महसूसती उस कसक को,
कहां भूलता है आदमी एक अंतराल के बाद........
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
-
प्रयागराज के आसमान से ऐसी दिखती है गंगा. (साभार-https://prayagraj.nic.in/) यह साल 1988 की बात होगी, जब हम तीन भाई अपनी दादी की आकांक्षा पर ब...
-
खुश होने के कई कारणों के पीछे, होते हैं कई अंतराल, बीच की कुछ घटनाएं उन्हें जोड़ती हैं, एक नया अंतराल जनमाने के लिए. कुछ ऐसा भी घटित होता है...
-
पराठे तो खाए होंगे आपने. साथ में भले ही हलवा न खाया हो. खैर आजकल हलवा-पराठा की चासनी में डूबा हुआ है. भई, मानना पड़ेगा कि कुछ तो खासियत होती...
1 टिप्पणी:
मित्र संदर्भ क्लीयर करते तो बेहतर होता. अभी तो हालांकि वाया रूपेश भाई दुखद सूचना मिल गई थी. जन्म के साथ कुछ और भी जुडा होता है, जिसे हम जानबूझकर अनदेखा करते हैं. हां, अंतराल पर आप सटीक बैठे. फिर वही अंतराल पैदा हो, एक नया अंतराल जनमाने के लिए. क्या इसकी कोई श्रांगारिक व्याख्या भी है.
एक टिप्पणी भेजें