सीन 1
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में छक्के पड़ रहे थे और उसी देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे कुछ इलाके बम-धमाकों की गूंज सह रहे थे। यकीन कीजिए सब कुछ एक ही साथ हो रहा था। पिस रही थी जनता। एक तरफ तो उसे मार्केट का खिलाया-पिलाया क्रिकेट देखना पड़ रहा था तो दूसरी ओर गैर-मार्केट का कहर झेलते हुए धमाके सुनने पड़ रहे थे। मजे की बात ये थी कि एक ही रेडियो पर दोनों ही बातें ट्यून करने वाले समान-भाव से दोनों ही खबरों को जज्ब कर रहे थे। हाय रे आदमी!
सीन 2
मंदिर की घंटी बजाकर लौट रहे एक आदमी ने झोले से कुछ खाद्य पदार्थ नि·ाला और सामने बैठे व्यक्ति के रीते हाथों को भर दिया। व्यक्ति खुश। बच्चों को बुला लिया। पास ही बैठे कुत्ते भी आ गए। आदमी हंसा। बोला - देखो कुत्ते जैसी गति है इंसान की। आदमी घर पहुंचा। पत्नी की झल्लाहट से बचने को सामने के पार्क में चला गया। पत्नी झुंझलाई सी बोली - देख रहे हो चिंटू की अम्मा। मेरी फटकार से बचने के लिए पार्क में जाकर बैठ गए हैं। चिंटू की अम्मा ने पार्क के दूसरे छोर पर नहा रही एक पागल सी भिखारी को झिड़कते हुए पत्नी की तरफ देखकर कहा - सामने से तो हट जा... देख नहीं रही वो बैठे हैं! हाय रे आदमी!
मंगलवार, 10 फ़रवरी 2009
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